बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर -
लोकतन्त्र और सामाजिक आन्दोलन
(Democracy and Social Movement)
विश्व के विभिन्न देशों में अनेक प्रकार की शासन व्यवस्था विद्यमान है। प्रत्येक शासन व्यवस्था की अपनी विशेषतायें हैं। प्रत्येक व्यवस्था में जनता को कम अथवा अधिक अधिकार प्राप्त हैं। उदाहरण के लिये समाजवादी देशों में राज्य व सरकार ही सर्वोपरि है। उसी के आदेशों का जनता आँख बन्द करके पालन करती है। यहाँ सरकार व सत्ता के विरुद्ध आंदोलन हो नहीं सकते। चीन और पुराना ( साम्यवादी) रूस इसके उदाहरण हैं। ठीक इसी प्रकार सैनिक तानाशाह शासन में भी देखी जा सकती है। इन शासन प्रणालियों के ठीक विपरीत लोकतन्त्रीय व्यवस्था है जिसमें वास्तविक शक्ति राज्य व सरकार में न होकर जनता में और जनता के चुने हुये प्रतिनिधियों में होती है। ये चुने हुये प्रतिनिधि ही सरकार बनाते हैं। लोकतन्त्र में जनता को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि वह सरकार के कार्यों, निर्णयों और कानून और व्यवस्था से संतुष्ट नहीं है तो वह सरकार के निर्णयों के विरुद्ध आन्दोलन कर सकती है।
यदि जनता का शोषण किया जा रहा है। अत्याचार, उत्पीड़न, अराजकता में तीव्रता हो रही है तो जनता के जान-माल को खतरा उत्पन्न हो गया है तो जनता सरकार का ध्यान इन बुराइयों की ओर आकर्षित करने के लिये आन्दोलन करती है। वे दैनिक जीवन की समस्याओं को लेकर भी आंदोलन करती है, जैसे पेट्रोल और गैस के चूल्हों के दाम में वृद्धि। अभी नकली दवाओं को लेकर उत्तर प्रदेश में आन्दोलन चलाये गये और यह माँग की गयी कि नकली दवा बनाने वालों और बेचने वालों को फाँसी की सजा दी जाए। इसकी गूंज संसद में भी सुनाई पड़ी। सरकार को बाध्य होकर यह कहना पड़ा कि नकली दवाओं के बनाने वालों के विरुद्ध कडी कार्यवाही की जायेगी। इसी प्रकार सामाजिक अन्याय और शोषण के विरुद्ध आन्दोलन किये जाते हैं। इस प्रकार के आन्दोलनों का एक लम्बा इतिहास है।
लोकतन्त्रीय व्यवस्था में प्रत्येक राजनैतिक आन्दोलन की पृष्ठभूमि में कोई न कोई समस्या अवश्य होती है जिसे राजनीतिक रंग देकर राजनीतिकरण हो गया है, जैसे महिला सशक्तिकरण, संसद में महिलाओं की 33% आरक्षण की माँग आदि। लोकतन्त्रीय व्यवस्था में सामाजिक आन्दोलन सामाजिक समस्याओं का दर्पण भी है। जिस देश में जितनी अधिक आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक समस्याएँ होंगी उस देश में सामाजिक आन्दोलनों की संख्या भी अधिक होगी। लोकतन्त्र में जनता को यह अधिकार प्राप्त है कि वह सरकार पर आन्दोलन के द्वारा दबाव बनाये और समस्या के निराकरण के लिये उन्हें बाध्य करे। यह भी कटु सत्य है कि लोकतंत्रीय लचीली शासन व्यवस्था और कमजोर सरकारी व्यवस्था व प्रबन्धून देश में अराजकतावादी आन्दोलनों को भी जन्म देते हैं। नक्सलवादी आंदोलन इसका एक उदाहरण है।
वास्तव में, लोकतन्त्रीय व्यवस्था अथवा अन्य किसी प्रणाली में सामाजिक आन्दोलन की एक संस्कृति होती है। यह कभी आयातित होती है। जैसे फ्रांस क्रांति के एक नये स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व ने सम्पूर्ण विश्व में राजनैतिक चेतना को उत्पन्न किया। "दुनिया के मजदूरों एक हों" के नारे ने विश्व के श्रमिकों को एकजुट किया। "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा' के नारे ने सम्पूर्ण भारत में आजादी का बिगुल बजाया। इस प्रकार के अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं जो अमुक देश की सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक समस्याओं की चिंगारी थे। जिन्होनें आगे चलकर आन्दोलन का एक बड़ा रूप धारण किया। मैक्स वेबर का विचार है कि भीड़ और जनता में अपेक्षाओं की बनिस्पत उद्वेग से सामाजिक आन्दोलन प्रभावित होते हैं। वे सामाजिक बदलाव के रूप में देखे जा सकते हैं। वेबर श्रमिक आन्दोलन को संगठित परिपक्व राजनैतिक संघों के रूप में देखते हैं।
लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन इस बात पर निर्भर करता है कि नेतृत्व और संगठनों के प्रकारों की भूमिका आन्दोलन में किस प्रकार की है। इस तन्त्र में सामाजिक आन्दोलन चलाने और नियन्त्रित करने का दायित्व नेता पर होता है। ठीक इसी प्रकार वे सामाजिक संगठन जो संगठित और शक्तिशाली है, सामाजिक आन्दोलन की दिशा और निर्देश देते हैं, जैसे- महाराष्ट्र में शिव सेना का संगठन शक्तिशाली और प्रभावशाली है। ठीक इसी प्रकार विश्व हिन्दू परिषद का संगठन जो हिन्दुत्व और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हेतु आन्दोलन चला रहे हैं। ठीक इसी प्रकार पंथ निरपेक्ष राजनैतिक दल देश में पंथ निरपेक्ष सरकार की स्थापना के लिए आन्दोलन करते रहते हैं। मार्क्सवादियों के अनुसार आन्दोलन सामाजिक असन्तोष का प्रदर्शन है और सामाजिक परिवर्तन का एक शक्तिशाली आधार है। यह आवश्यक नहीं है कि आन्दोलन का जन्म कैसे हुआ? उसका स्वरूप क्या है? वह कैसे कार्य करता है? बल्कि आवश्यक यह है कि आन्दोलन को संचालित करने वाला वर्ग कौन-सा है? आवश्यक यह है कि आन्दोलन का सामाजिक आधार क्या है? और उसकी वर्ग संरचना किस प्रकार की है? मार्क्स पूंजीवादी व्यवस्था और शोषण के विरुद्ध था। श्रमिक वर्ग ही उसके सामाजिक-आर्थिक और राजनैतिक आन्दोलन का आधार है। भारत में श्रमिक आंदोलन आज मुँह के बल गिर गया है और मार्क्सवादी विचारधारा के स्थान पर नव उपनिवेशवादी आर्थिक, सामाजिक, संस्कृति की स्थापना हो रही है। संचार माध्यम इसी संस्कृति को स्थापित करने का आन्दोलन चला रहे हैं। कटु सत्य यह भी है कि भारत में 1975 के पश्चात किसी भी प्रकार का शक्तिशाली आन्दोलन नहीं हुआ। छुट-पुट आंदोलन हुए और बुझ गये।
स्मेल्सर लोकतंत्र में सामाजिक आन्दोलन की दो श्रेणियाँ बताता है। एक सामान्य आन्दोलन जो सामाजिक आन्दोलन से भिन्न है। सामान्य आन्दोलन धीरे-धीरे परिवर्तन लाते हैं। शनैः-शनैः लोकाचार, मूल्य और प्रवृत्तियों में बदलाव होते हैं। सामाजिक चेतना में भी परिवर्तन होते हैं जिससे मानवीय व्यवहार में परिवर्तन होते हैं। सामाजिक परिवर्तन की तीव्र गति सामूहिक व्यवहार में एकदम से परिवर्तन लाती है। इसलिये सामाजिक आन्दोलन अन्ततः सामान्य आन्दोलन की ही अभिव्यक्ति है। आन्दोलन का यह सामाजिक लोकतन्त्रीय विचार सामाजिक परिवर्तन के विकासवादी सिद्धान्त को दर्शाता है। वास्तव में लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन का कोई एक आधार नहीं होता और न कोई एक कारक ही। लोकतन्त्र में समस्याजन परिस्थितियाँ सामाजिक आन्दोलन को समय-समय पर उत्पन्न करती रहती हैं इसलिये सामाजिक आन्दोलन की प्रक्रिया की कोई सीधी रेखा खींची नहीं जा सकती है। इतना कहा जा सकता है कि सामाजिक आन्दोलन व्यक्तियों के एकजुट प्रयास का प्रतिफल है जो सामाजिक दशा में बदलाव लाना चाहता है। सामाजिक आन्दोलन का यह मॉडल फ्रांस क्रान्ति पर आधारित है।
सामाजिक आन्दोलन का यदि विश्लेषण किया जाए तो हम यह कह सकते हैं कि सामाजिक आंदोलन के अल्पकालीन व दीर्घकालीन अनेक स्वरूप हैं जो समय-समय पर स्थानीय, क्षेत्रीय, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर घटित होते हैं। कभी महत्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय घटनायें भी आन्दोलन करने के लिये प्रेरित करती हैं। इनके पीछे राष्ट्रीय सामूहिक व्यवहार और वर्गीय चेतना रहती है। कहीं यह मानवतावाद से भी जुड़ी होती है। इसके साथ ही जनता की आइडियोलॉजी में परिवर्तन होता रहता है। इसलिये आन्दोलन विशेष परिस्थिति में जन्मते हैं जिसमें समाहित होती है आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक समस्याएँ। एक विशेष समस्या एक समय में जनता को आन्दोलन करने के लिये प्रोत्साहित करती है। सामाजिक आन्दोलन सशक्त, नेतृत्व और संगठन की माँग करती है जिससे प्रभावी ढंग से वांछित परिवर्तन लाया जा सके। आन्दोलन के बीज समाज में उपस्थित रहते हैं और आन्दोलन को अंजाम देने की आईडियोलॉजी समाज में सदैव अन्तः प्रवाहित रहती है जो उचित समय और परिस्थिति में आन्दोलन का रूप ग्रहण करती है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि सामाजिक आन्दोलन की सीधी रेखा नहीं खींची जा सकती है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?